bhudani jhola
Thursday, March 31, 2011
भ्रस्ताचार के विरुद्ध बुद्धिजीवियों का एकजुट होना
बहोत
दिनों
बाद
इन
महानुभावों
की
नींद
खुली
जब
देश
भ्रस्ताचार
के
चरम
पर
पहुँच
गया
जब
ये
शासन
में
थे
तब
क्यों
नहीं
रोका
मतलब
कंही
न
कंही
ये
भी
उस
व्यवस्था
के
हिस्से
दार
रहे
होंगे
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