Sunday, August 15, 2010
अंतकवाद और नक्सलवाद
में समझता हूँ इन दोनों वादों की जड़ पूँजी और श्रम की बुनियाद पर खड़े उद्योग से कमाए गए लाभ का असामान्य वितरण है। सामाजिक और आर्थिक रूप से संपन्न यूरोप तथा एशिया और अफ्रीका का पिछड़ा पण ये जाहिर करता है क़ियूरोप के द्वारा इस असंतुलन में यूरोप के पूंजीपतियों ने लाभ का हिस्सा ज्यादा लिया और एशिया और अफ्रीका तथा अरब को कम दिया इस अन्याय पूर्ण वितरण ने लोगों के बीच आक्रोश पैदा किया जिसने आंतकवाद को जन्म दिया ,इसी परकार भारत सरकारने देश के सुदूर इलाकों में अपने साधन मुहय्या नहीं करवाए जिससे आदिवासियों के बीच नक्सवाद पैदा हुवा। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ाहै यदि आज से इस वितरण प्रणाली को सामान्य कर लिया जाये और सरकार उठ कर सुदूर इलाकों में जाने लगे तो इससे बेरोजगारी कम होगी तथा इन दोनों वादों से निजाद पाई जासकती है अन्यथा ये बेरोजगार यूवा इन पूंजीपतियों का जीना दूभर कर देंगे । शहरों में अराजकता फ़ैल जाएगी और आम आदमी का जीना मुश्किल होजायेगा। और सरकार के लिए इसे संभालना मुश्किल हो जायेगा।
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